नमस्ते दोस्तों! मैं वैष्णवी।
आज मैं अपनी किसी नीश – फैशन, स्किन केयर या कुकिंग – के बारे में बात नहीं करने वाली। आज मैं बात करुँगी उस सफर के बारे में जिस पर ये सारी नीश टिकी हुई हैं – मेरी ब्लॉगिंग यात्रा। हाल ही में मैंने अपनी वेबसाइट पर 30 से ज़्यादा ब्लॉग पोस्ट्स पूरे किए हैं, और ये मेरे लिए एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है।
जब मैंने शुरुआत की थी, तो मेरे मन में भी वही सब सवाल थे जो शायद आज आपके मन में हैं – “क्या लिखूं?”, “क्या कोई मेरा ब्लॉग पढ़ेगा?”, “ट्रैफिक कैसे आएगा?”। आज, 31 ब्लॉग्स के बाद, मैं ये तो नहीं कह सकती कि मैं सब कुछ जान गई हूँ, लेकिन मैंने बहुत कुछ सीखा है।
तो आज मैं आपके साथ अपने इस छोटे से सफर के 7 सबसे बड़े और सबसे सच्चे सबक शेयर करने वाली हूँ, जो मैंने गलतियां करके, एक्सपेरिमेंट करके और धैर्य रखकर सीखे हैं।
1. क्वालिटी > क्वांटिटी (Quality is Greater Than Quantity)
शुरुआत में मुझे लगता था कि ज़्यादा ब्लॉग्स का मतलब है ज़्यादा ट्रैफिक। मैं रोज़ एक ब्लॉग पोस्ट डालने का सोचती थी, भले ही वो 500 शब्दों का ही क्यों न हो। लेकिन मैंने बहुत जल्दी सीखा कि ये ब्लॉगिंग की सबसे बड़ी गलतफहमी है।
मेरा अनुभव: जब मैंने [[थायराइड पर अपना 2000+ शब्दों वाला डिटेल्ड गाइड]] लिखा, तो मैंने देखा कि गूगल ने उसे मेरे 5 छोटे-छोटे ब्लॉग्स से ज़्यादा महत्व दिया। एक डिटेल्ड ब्लॉग जो किसी की समस्या को पूरी तरह से हल कर दे, वो दस अधूरे ब्लॉग्स से ज़्यादा ताकतवर होता है। अब मेरा फोकस हर रोज़ लिखने पर नहीं, बल्कि हर 2-3 दिन में एक “मास्टरपीस” लिखने पर होता है।
2. कंसिस्टेंसी का मतलब ‘रोज़’ नहीं, ‘नियमित’ होता है
क्वालिटी की बात करते हुए, कंसिस्टेंसी का मतलब गलत समझना भी एक आम गलती है। कंसिस्टेंट होने का मतलब रोज़ पोस्ट करना नहीं है। इसका मतलब है एक शेड्यूल बनाए रखना।
मेरा अनुभव: मैंने एक दिन में 5 ब्लॉग लिखकर और फिर एक हफ्ता गायब हो जाने की गलती करने की सोची। लेकिन फिर मैंने सीखा कि गूगल और आपके रीडर्स, दोनों को एक नियमित रूटीन पसंद है। अब मैं हफ्ते में 2-3 ब्लॉग पोस्ट्स पब्लिश करती हूँ, लेकिन नियमित रूप से। इससे गूगल को पता है कि मेरी वेबसाइट एक्टिव है और मेरे रीडर्स को भी पता है कि उन्हें कब कुछ नया पढ़ने को मिलेगा।
3. Google Search Console आपका सबसे बड़ा खज़ाना है
शुरुआत में GSC के ग्राफ और नंबर्स देखकर मुझे डर लगता था। लेकिन फिर मुझे समझ आया कि ये गूगल से सीधे बात करने का तरीका है।
मेरा अनुभव: मैंने GSC की “Queries” रिपोर्ट में देखा कि मुझे pregnancy me skin dull hona
कीवर्ड पर 19 इम्प्रैशन मिले थे, जबकि मैंने इस पर कोई ब्लॉग लिखा ही नहीं था! ये मेरे लिए एक “Eureka!” मोमेंट था। गूगल मुझे खुद बता रहा था कि लोग क्या ढूंढ रहे हैं। मैंने तुरंत उस टॉपिक पर एक डिटेल्ड ब्लॉग लिखा, और ये मेरे सबसे अच्छे फैसलों में से एक था। GSC आपको अंदाज़े लगाने से बचाता है और आपको डेटा के आधार पर काम करना सिखाता है।
4. SEO सिर्फ कीवर्ड्स का खेल नहीं है
मुझे लगता था कि ब्लॉग में बस कीवर्ड्स भर देने से वो रैंक हो जाएगा। लेकिन असली खेल तो टॉपिक क्लस्टर और इंटरनल लिंकिंग का है।
मेरा अनुभव: जब मैंने फैशन और हेयर फॉल पर एक-एक करके ब्लॉग लिखने की बजाय, उन्हें एक क्लस्टर (समूह) की तरह सोचना शुरू किया, तो मेरे ब्लॉग की अथॉरिटी बढ़ गई। जब आप अपने सभी हेयर फॉल वाले ब्लॉग्स को एक-दूसरे से लिंक करते हैं, तो आप गूगल को बताते हैं कि आप इस विषय की एक्सपर्ट हैं।
5. Pinterest एक नए ब्लॉगर का सबसे अच्छा दोस्त है
जब गूगल आपको परख रहा होता है (जिसे Google Sandbox कहते हैं), तब ट्रैफिक कहाँ से आएगा? जवाब है – Pinterest से!
मेरा अनुभव: शुरुआत में गूगल से ट्रैफिक लगभग न के बराबर होता है, और ये बहुत निराशाजनक हो सकता है। लेकिन Pinterest एक विज़ुअल सर्च इंजन है जो गूगल से जल्दी रिजल्ट दे सकता है। मैंने अपने हर ब्लॉग के लिए 3-4 अलग-अलग पिन बनाना शुरू किया। भले ही आज ट्रैफिक ज़्यादा न हो, लेकिन मुझे पता है कि Pinterest पर डाला गया एक पिन महीनों, और कभी-कभी सालों तक ट्रैफिक ला सकता है।
6. परफेक्शन का इंतज़ार न करें, पब्लिश करें और सुधारें
शुरुआत में मैं हर चीज़ को परफेक्ट बनाना चाहती थी – सही डिस्क्लेमर, सही ऑल्ट टेक्स्ट, परफेक्ट इमेज। इस चक्कर में कई बार मैं पोस्ट करने में देर कर देती थी।
मेरा अनुभव: मैंने सीखा कि “Done is better than perfect”। आप पहली बार में सब कुछ सही नहीं कर सकते। मैंने गलत ऑल्ट टेक्स्ट लिखे, गलत डिस्क्लेमर इस्तेमाल किया, लेकिन मैंने उन्हें बाद में ठीक किया। ज़रूरी ये है कि आप कंटेंट पब्लिश करें, फीडबैक लें और उसे समय के साथ बेहतर बनाते जाएं।
7. धैर्य: ब्लॉगिंग का सबसे बड़ा सीक्रेट
ये सबसे घिसी-पिटी, लेकिन सबसे सच्ची सलाह है।
मेरा अनुभव: 31 ब्लॉग्स और सिर्फ कुछ सौ इम्प्रैशन। अगर मैं सिर्फ नंबर्स को देखूं, तो शायद निराश हो जाऊं। लेकिन अब मैं समझ गई हूँ कि मैं अभी अपने ब्लॉग का फाउंडेशन बना रही हूँ। मैं बीज बो रही हूँ और उसे हर रोज़ पानी दे रही हूँ। फसल उगने में 6 महीने से एक साल का समय लगेगा। ब्लॉगिंग एक मैराथन है, 100 मीटर की दौड़ नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1: मुझे अपने ब्लॉग पर ट्रैफिक देखने में असल में कितना समय लगेगा?
Ans: ये सबसे आम सवाल है, और इसका कोई एक जवाब नहीं है, लेकिन मेरे अनुभव और रिसर्च के अनुसार, गूगल से ऑर्गैनिक ट्रैफिक में एक अच्छी बढ़ोतरी देखने में 6 से 8 महीने का समय लग सकता है। इसे “गूगल सैंडबॉक्स” पीरियड भी कहते हैं, जहाँ गूगल आपकी नई वेबसाइट पर भरोसा बनाने में समय लेता है। हालांकि, अगर आप Pinterest जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लगातार मेहनत करती हैं, तो आपको वहां से ट्रैफिक 2-3 महीनों में ही दिखना शुरू हो सकता है।
Q2: क्या मुझे हर ब्लॉग पोस्ट 2000 शब्दों का ही लिखना चाहिए?
Ans: ज़रूरी नहीं है। नियम ये है कि आपका ब्लॉग पोस्ट उस विषय पर लिखे गए दूसरे ब्लॉग पोस्ट्स से बेहतर और ज़्यादा विस्तृत होना चाहिए। अगर किसी टॉपिक पर 1000 शब्दों में पूरी जानकारी दी जा सकती है, तो उतना ही काफी है। लेकिन “कैसे करें” (How-to) वाले गाइड और पिलर पेज (Pillar Pages) के लिए 1500-2000+ शब्द लिखना एक बहुत अच्छी रणनीति है क्योंकि ये गूगल को दिखाता है कि आपने उस विषय पर बहुत गहरी रिसर्च की है।
Q3: क्या मैं बिना Pinterest या Quora के सिर्फ SEO से सफल नहीं हो सकती?
Ans: आप हो तो सकती हैं, लेकिन उसमें बहुत ज़्यादा समय लगेगा। सोचिए, SEO एक बड़ा जहाज़ चलाने जैसा है जिसे रफ़्तार पकड़ने में समय लगता है। Pinterest और Quora छोटी स्पीडबोट की तरह हैं जो आपको शुरुआत में तेज़ी से आगे ले जाती हैं। जब तक गूगल आप पर भरोसा करता है, तब तक ये प्लेटफॉर्म्स आपके ब्लॉग पर ट्रैफिक लाते रहते हैं और आपके ब्रांड को लोगों तक पहुंचाते हैं।
Q4: ब्लॉगिंग की शुरुआत में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
Ans: मेरे अनुभव में, सबसे बड़ी चुनौती धैर्य रखना और बिना तुरंत नतीजों के लगातार काम करते रहना है। शुरुआत के कुछ महीने ऐसे होते हैं जब आप बहुत मेहनत करती हैं, लेकिन आपको ट्रैफिक या कमेंट्स नहीं दिखते। इसी समय पर ज़्यादातर लोग हिम्मत हार जाते हैं। खुद पर और अपनी प्रक्रिया पर भरोसा बनाए रखना ही सबसे बड़ी चुनौती और सफलता की कुंजी है।
ये सफर आसान नहीं है, लेकिन ये बहुत कुछ सिखाता है। हर नए ब्लॉग के साथ, हर नए कमेंट के साथ, और GSC में बढ़ते हर एक इम्प्रैशन के साथ मेरा आत्मविश्वास बढ़ रहा है। अगर आप भी एक नए ब्लॉगर हैं, तो बस लगे रहिए। सीखते रहिए, लिखते रहिए, और सबसे ज़रूरी, धैर्य रखिए।
आपकी ब्लॉगिंग यात्रा कैसी चल रही है? मुझे कमेंट्स में अपने अनुभव ज़रूर बताएं!
– वैष्णवी 🌿